दिल्ली व्यूरो
देहरादून : एक तरफ भाजपा चुनाव परिणाम के बाद सरकार बनाने की रणनीति पर फोकस कर रही है, दूसरी तरफ भाजपा के विधायक भितरघात के आरोप लगाकार पार्टी की स्पष्ट बहुमत को लेकर आश्वस्त होने के विश्वास पर ही सवाल खड़े करने का काम कर रहे हैं। पार्टी के अंदर भितरघात के आरोपों की झड़ी लगी हुई है। अब तक 5 विधायक इसमें शामिल हो चुके हैं। खास बात ये है कि इस लिस्ट में अब कैबिनेट मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके बिशन सिंह चुफाल भी शामिल हो गए हैं।
मतदान के बाद सियासी दल हार-जीत का गुणा-भाग करने में जुटे हैं। लेकिन इन सभी में भितरघात फेक्टर ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। जो भी विधायक भितरघात का आरोप लगा रहे हैं, उस सीट पर पार्टी को हार का डर भी सताने लगा है। लक्सर विधायक संजय गुप्ता के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर ही उनके खिलाफ काम करने का आरोप लगाने के बाद चम्पावत के विधायक कैलाश गहतौड़ी और काशीपुर से विधायक हरभजन सिंह चीमा भी अपनी-अपनी सीटों पर भितरघात के आरोप लगा चुके हैं। जिसके बाद से पार्टी के अंदर हड़कंप मचा हुआ है। अब यमुनोत्री से विधायक केदार सिंह रावत भी अपना दर्द बयां कर रहे हैं। केदार सिंह रावत ने जिला व प्रदेश स्तर के पांच पदाधिकारियों पर चुनाव के दौरान भितरघात का आरोप लगाया है। केदार सिंह रावत ने सीधे पार्टी को कंप्लेन दर्ज कराने से पहले मीडिया में ही बयान दे दिया है। केदार सिंह रावत के टिकट को लेकर भी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में काफी हंगामा हुआ था। जिसके बाद केदार सिंह के टिकट कटने के भी चर्चे हुए थे। हालांकि पार्टी हाईकमान ने केदार सिंह रावत पर फिर से भरोसा जताया और टिकट दिया, लेकिन अब मैं भी भितरघात का शिकार श्रेणी में केदार सिंह रावत का नाम भी जुड़ गया है। जिससे पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं।
रावत का दावा है कि मतदान के बाद विभिन्न क्षेत्रों से जो रिपोर्ट आई है, उसमें पता चला है कि पार्टी के प्रदेश व जिला स्तर के पांच पदाधिकारियों ने निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल का साथ देकर भितरघात किया है। अगर पार्टी उनसे पूछेगी तो वह भितरघात करने वालों के नाम और उनकी भूमिका के बारे में बताएंगे। रावत ने यह भी कहा कि इस बार यमुनोत्री में मुकाबला कड़ा है, लेकिन वह जीत को लेकर वह पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी से नहीं बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी से है, जिसका साथ भितरघात करने वालों ने दिया है। इस तरह से केदार सिंह रावत ने सीधे तौर पर निर्दलीय के मजबूत होने के भी संकेत दिए हैं। पार्टी के दिग्गज नेताओं में से एक और कैबिनेट मंत्री रह चुके बिशन सिंह चुफाल ने भी भितरघात के मुद्दे पर खुलकर बात की है। उन्होंने मीडिया में दिए बयान में कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के साथ कई और सीटों पर भी ऐसा ही हुआ है। बिशन सिंह चुफाल के इस बयान के बाद पार्टी की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। चुफाल 6वीं बार चुनाव मैदान में हैं और लगातार अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। चुफाल को संगठन का भी अच्छा अनुभव रहा है। ऐसे में चुफाल के इस बयान से संगठन के कामकाज पर सवाल उठना तय है। इसके साथ ही भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर भी इन आरोपों के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं। विपक्ष को भी भाजपा के अंदर आए दिन भितरघात की कंप्लेन आने के मुद्दे पर पलटवार करने का मौका मिल गया है। जिसे कांग्रेस परिणाम से पहले ही भाजपा की हार मान रही है।